हिस्ट्री ऑफ़ रक्षा बंधन इन हिंदी : History Of Rakshabandhan in Hindi

हिस्ट्री ऑफ़ रक्षा बंधन इन हिंदी : History Of Rakshabandhan in Hindi

हिस्ट्री ऑफ़ रक्षा बंधन इन हिंदी : History Of Rakshabandhan in Hindi – तो आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि रक्षा बंधन क्या है? और रक्षा बंधन का इतिहास क्या है? तो अगर आप भी इस महत्व पूर्ण जानकारी को सम्पूर्ण रूप से जानना चाहते है, तो आप सभी जुड़े रहे हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक!

हिस्ट्री ऑफ़ रक्षा बंधन इन हिंदी : History Of Rakshabandhan in Hindi
हिस्ट्री ऑफ़ रक्षा बंधन इन हिंदी : History Of Rakshabandhan in Hindi

रक्षा बंधन क्या है | Raksha Bandhan Kya Hain?

रक्षाबंधन एक हिंदू और जैन त्योहार है जो श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देता है।

रक्षाबंधन का त्योहार भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, और श्रीलंका में मनाया जाता है। यह त्योहार दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं और जैनों द्वारा भी मनाया जाता है।

रक्षाबंधन के दिन, बहनें अपने भाइयों के घर जाती हैं और उन्हें राखी बांधती हैं। राखी एक धागे या धागे से बना हुआ एक विशेष बंधन है। बहनें राखी बांधते समय एक विशेष मंत्र का जाप करती हैं। मंत्र में, बहन अपने भाई की रक्षा करने के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा करने का वचन देता है।

रक्षाबंधन के दिन, भाई और बहनें एक साथ समय बिताते हैं, खाना खाते हैं, और खेलते हैं। यह एक विशेष दिन है जब भाई और बहनें एक-दूसरे के प्यार और देखभाल को व्यक्त करते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को याद दिलाता है। यह एक ऐसा दिन है जब भाई और बहनें एक-दूसरे के लिए अपनी प्यार और देखभाल व्यक्त करते हैं।

रक्षा बंधन का इतिहास | Raksha Bandhan Ka Itihas?

रक्षाबंधन का इतिहास बहुत पुराना है। यह हिंदू और जैन धर्मों में एक महत्वपूर्ण त्योहार है।

रक्षाबंधन के बारे में कई पौराणिक कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। भगवान कृष्ण ने द्रौपदी के इस प्रेम और देखभाल की सराहना की और उन्हें अपना भाई मान लिया।

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान इंद्र को दैत्यराज बलि ने पराजित कर दिया था। इंद्र की पत्नी शचि ने रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने बलि से युद्ध किया और उन्हें पराजित कर दिया। इंद्र और शचि को उनके राज्य पर पुनः अधिकार मिला।

रक्षाबंधन का त्योहार सिंधु घाटी सभ्यता से भी जुड़ा हुआ है। सिंधु घाटी सभ्यता में, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांधती थीं और उनके लंबे जीवन की कामना करती थीं।

रक्षाबंधन का त्योहार भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, और श्रीलंका में मनाया जाता है। यह त्योहार दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं और जैनों द्वारा भी मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को याद दिलाता है। यह एक ऐसा दिन है जब भाई और बहनें एक-दूसरे के लिए अपनी प्यार और देखभाल व्यक्त करते हैं।

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में रक्षा बंधन पर्व की भूमिका | Bhartiy Swatantrta Sangram Me Raksha Bandhan Parv Ki Bhumika?

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में रक्षा बंधन पर्व ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस त्योहार ने भाई-बहन के रिश्ते को एक शक्तिशाली राजनीतिक प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया गया।

रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देता है।

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान, रक्षा बंधन का त्योहार ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुटता के लिए एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया। बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर उन्हें अपने देश की रक्षा के लिए प्रेरित करती थीं।

रक्षा बंधन का त्योहार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य स्वतंत्रता आंदोलन के संगठनों द्वारा एकत्रीकरण और जागरूकता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इस त्योहार के अवसर पर, स्वतंत्रता सेनानियों ने सभाएं आयोजित कीं और लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

रक्षा बंधन के त्योहार ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में निम्नलिखित भूमिका निभाई:

  • यह एकजुटता और भाईचारे का एक शक्तिशाली प्रतीक था।
  • यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों और सभाओं के लिए एक मंच प्रदान किया।
  • यह लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया।

रक्षा बंधन का त्योहार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण क्षण था। इसने भारतीय लोगों के बीच एकजुटता और भाईचारे की भावना को मजबूत किया और उन्हें ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया।

धार्मिक प्रसंग

रक्षाबंधन का त्योहार हिंदू और जैन धर्मों में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार के कई धार्मिक प्रसंग हैं।

  • भगवान कृष्ण और द्रौपदी: एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। भगवान कृष्ण ने द्रौपदी के इस प्रेम और देखभाल की सराहना की और उन्हें अपना भाई मान लिया। इस घटना को रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
  • भगवान इंद्र और शचि: एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान इंद्र को दैत्यराज बलि ने पराजित कर दिया था। इंद्र की पत्नी शचि ने रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने बलि से युद्ध किया और उन्हें पराजित कर दिया। इंद्र और शचि को उनके राज्य पर पुनः अधिकार मिला। इस घटना को भी रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
  • सिंधु घाटी सभ्यता: रक्षाबंधन का त्योहार सिंधु घाटी सभ्यता से भी जुड़ा हुआ है। सिंधु घाटी सभ्यता में, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांधती थीं और उनके लंबे जीवन की कामना करती थीं।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देता है।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को याद दिलाता है। यह एक ऐसा दिन है जब भाई और बहनें एक-दूसरे के लिए अपनी प्यार और देखभाल व्यक्त करते हैं।

पौराणिक प्रसंग

रक्षाबंधन का पौराणिक प्रसंग भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच है। महाभारत के अनुसार, एक बार शिशुपाल ने कृष्ण को चुनौती दी कि वह उसे मार नहीं सकता। कृष्ण ने शिशुपाल को मार डाला, लेकिन उनकी उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई। द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। कृष्ण ने द्रौपदी की दया और देखभाल की सराहना की और उन्हें अपना भाई मान लिया।

यह प्रसंग भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को सिखाता है। यह यह भी सिखाता है कि प्रेम और देखभाल के साथ, कोई भी कठिनाइयों को दूर कर सकता है।

रक्षाबंधन का एक अन्य पौराणिक प्रसंग भगवान इंद्र और उनकी पत्नी शचि के बीच है। एक बार, इंद्र को दैत्यराज बलि ने पराजित कर दिया था। शचि ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने बलि से युद्ध किया और उन्हें पराजित कर दिया। इंद्र और शचि को उनके राज्य पर पुनः अधिकार मिला।

यह प्रसंग यह भी सिखाता है कि भाई-बहन का रिश्ता एक शक्तिशाली शक्ति हो सकता है। जब भाई और बहन एक साथ काम करते हैं, तो वे दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार इन पौराणिक प्रसंगों से प्रेरित है। यह एक ऐसा दिन है जब भाई और बहनें एक-दूसरे के लिए अपनी प्यार और देखभाल व्यक्त करते हैं।

ऐतिहासिक प्रसंग

रक्षाबंधन का ऐतिहासिक प्रसंग रानी कर्णावती और मुगल सम्राट हुमायूँ के बीच है। 1535 में, हुमायूँ मेवाड़ पर आक्रमण करने के लिए राजपूताना की ओर बढ़ा। राणा सांगा की विधवा रानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजकर उनसे मदद मांगी। हुमायूँ ने राखी स्वीकार कर ली और रानी कर्णावती की मदद की। उन्होंने चित्तौड़ की रक्षा की और मेवाड़ के लोगों को बचाया।

यह प्रसंग यह भी सिखाता है कि भाई-बहन का रिश्ता एक शक्तिशाली शक्ति हो सकता है। जब भाई और बहन एक साथ काम करते हैं, तो वे दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार इन ऐतिहासिक प्रसंगों से प्रेरित है। यह एक ऐसा दिन है जब भाई और बहनें एक-दूसरे के लिए अपनी प्यार और देखभाल व्यक्त करते हैं।

रक्षाबंधन का एक अन्य ऐतिहासिक प्रसंग सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। सिंधु घाटी सभ्यता में, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांधती थीं और उनके लंबे जीवन की कामना करती थीं।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देता है।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को याद दिलाता है। यह एक ऐसा दिन है जब भाई और बहनें एक-दूसरे के लिए अपनी प्यार और देखभाल व्यक्त करते हैं।

साहित्यिक प्रसंग

रक्षाबंधन का साहित्यिक प्रसंग महाभारत में भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच है। महाभारत के अनुसार, एक बार शिशुपाल ने कृष्ण को चुनौती दी कि वह उसे मार नहीं सकता। कृष्ण ने शिशुपाल को मार डाला, लेकिन उनकी उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई। द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। कृष्ण ने द्रौपदी की दया और देखभाल की सराहना की और उन्हें अपना भाई मान लिया।

यह प्रसंग भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को सिखाता है। यह यह भी सिखाता है कि प्रेम और देखभाल के साथ, कोई भी कठिनाइयों को दूर कर सकता है।

रक्षाबंधन का एक अन्य साहित्यिक प्रसंग महाभारत में ही है। महाभारत के अनुसार, एक बार द्रौपदी को दुःशासन ने चीरहरण करने की कोशिश की थी। इस घटना से द्रौपदी बहुत परेशान हो गई थी। इस समय, कृष्ण ने द्रौपदी की मदद की और दुःशासन को उसकी हरकतों के लिए दंडित किया।

यह प्रसंग यह भी सिखाता है कि भाई-बहन का रिश्ता एक शक्तिशाली शक्ति हो सकता है। जब भाई और बहन एक साथ काम करते हैं, तो वे दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार इन साहित्यिक प्रसंगों से प्रेरित है। यह एक ऐसा दिन है जब भाई और बहनें एक-दूसरे के लिए अपनी प्यार और देखभाल व्यक्त करते हैं।

रक्षाबंधन का एक अन्य साहित्यिक प्रसंग हिंदी कवि महादेवी वर्मा की कविता “राखी” में है। इस कविता में, महादेवी वर्मा ने रक्षाबंधन के त्योहार का एक सुंदर चित्रण किया है। उन्होंने भाई-बहन के रिश्ते की सुंदरता और महत्व को भी व्यक्त किया है।

“राखी” कविता के कुछ अंश इस प्रकार हैं:

“येन बद्धो बलिराजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेन त्वाम बाधयामि रक्षे मा चल मा चल।”

“भैया, आज राखी बांधने आई हूँ,
तुम मेरे प्यार के बंधन में बंध जाओ।
मैं तुम्हारी रक्षा के लिए प्रतिज्ञा करती हूँ,
तुम मेरी खुशियों के रक्षक बन जाओ।”

“रक्षाबंधन का यह पवित्र त्योहार,
हमारे भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है।
यह हमें प्रेम, स्नेह और भाईचारे का पाठ पढ़ाता है।”

रक्षाबंधन का साहित्यिक प्रसंग भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को और अधिक स्पष्ट करता है। यह हमें बताता है कि भाई और बहन एक-दूसरे के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

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भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधी जाती है?

भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधी जाती है, इसके पीछे दो कारण हैं। पहला कारण है धार्मिक कारण। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा एक खगोलीय घटना है जो चंद्रमा के कुंभ, मीन, कर्क और सिंह राशि में होने पर होती है। इस दौरान, चंद्रमा की स्थिति कठोर होती है, और यह शनि की तरह ही माना जाता है। शनि को एक अशुभ ग्रह माना जाता है, और इसलिए भद्रा को भी अशुभ माना जाता है।

दूसरा कारण है सांस्कृतिक कारण। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। यह एक ऐसा दिन है जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देता है।

भद्रा के दौरान राखी बांधने को अशुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे भाई-बहन के रिश्ते में खटास आ सकती है। यह भी माना जाता है कि भद्रा के दौरान राखी बांधने से भाई को कोई दुर्घटना हो सकती है।

हालांकि, कुछ लोग भद्रा के दौरान भी राखी बांधते हैं। वे मानते हैं कि भाई-बहन के रिश्ते का महत्व भद्रा से अधिक है। वे मानते हैं कि भद्रा के प्रभाव को दूर किया जा सकता है।

भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधी जाती है, इस पर कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यह एक ऐसी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। कुछ लोग इस परंपरा का पालन करते हैं, जबकि कुछ नहीं करते हैं। अंततः, यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह भद्रा के दौरान राखी बांधना चाहता है या नहीं।

राखी पर भद्रा का क्या अर्थ है?

रक्षाबंधन पर भद्रा का अर्थ है अशुभ समय। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा एक खगोलीय घटना है जो चंद्रमा के कुंभ, मीन, कर्क और सिंह राशि में होने पर होती है। इस दौरान, चंद्रमा की स्थिति कठोर होती है, और यह शनि की तरह ही माना जाता है। शनि को एक अशुभ ग्रह माना जाता है, और इसलिए भद्रा को भी अशुभ माना जाता है।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। यह एक ऐसा दिन है जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देता है।

भद्रा के दौरान राखी बांधने को अशुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे भाई-बहन के रिश्ते में खटास आ सकती है। यह भी माना जाता है कि भद्रा के दौरान राखी बांधने से भाई को कोई दुर्घटना हो सकती है।

हालांकि, कुछ लोग भद्रा के दौरान भी राखी बांधते हैं। वे मानते हैं कि भाई-बहन के रिश्ते का महत्व भद्रा से अधिक है। वे मानते हैं कि भद्रा के प्रभाव को दूर किया जा सकता है।

रक्षाबंधन पर भद्रा का अर्थ है अशुभ समय। यह एक ऐसी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। कुछ लोग इस परंपरा का पालन करते हैं, जबकि कुछ नहीं करते हैं। अंततः, यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह भद्रा के दौरान राखी बांधना चाहता है या नहीं।

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