रासुका में क्या सजा होती है : NSA Kya hai in Hindi

रासुका में क्या सजा होती है : NSA Kya hai in Hindi

रासुका में क्या सजा होती है : NSA Kya hai in Hindi – आज हम लेकर के आए है बिलकुल लेटेस्ट जानकारी, जो आपके लिए बहुत ही खास होने वाली है क्यों कि आज हम आपकी सुविधा के लिए बताएंगे कि रासुका होती क्या है और इस रासुका में सजा का क्या प्रावधान रहता है। तो चलिए देखते क्या है रासुका की सम्पूर्ण जानकारी। रासुका में क्या सजा होती है : NSA Kya hai in Hindi

रासुका में क्या सजा होती है : NSA Kya hai in Hindi

NSA (रासुका) क्या होती है – NSA kya Hoti hain?

भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए 1980 में भारतीय संसद द्वारा अधिनियमित एक कानून है। यह केंद्र और राज्य सरकारों को व्यक्तियों को 12 महीने तक बिना किसी मुकदमे के हिरासत में रखने की शक्ति देता है, अगर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून और व्यवस्था के लिए खतरा माना जाता है।

अधिनियम “सुरक्षा” को “भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता, भारत की रक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था और आवश्यक सेवाओं सहित राज्य की सुरक्षा” के रूप में परिभाषित करता है।

अधिनियम सरकार को व्यक्तियों को हिरासत में लेने का अधिकार देता है यदि यह संतुष्ट है कि उनकी गतिविधियाँ राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव के लिए प्रतिकूल हैं।

रासुका में क्या सजा होती है – Rasuka me kya Saja Hoti hain?

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए सभी कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि NSA (रासुका) के तहत राज्य के गृह सचिव को एक बार में तीन महीने से ज्यादा की सजा नहीं दी जा सकती है।

दोस्तों बता दें कि जस्टिस शांतनु केमकर, जस्टिस जेके जैन की बेंच ने इंदौर के मोहसिन नासिर कुरैशी के मामले में यह आदेश दिया है। 14 नवंबर 2013 को कलेक्टर ने मोहसिन को रासुका के तहत एक साल कैद की सजा सुनाई।

अधिवक्ता सुधा श्रीवास्तव ने पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। आंध्र प्रदेश के शेरू कुली बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रासुका के तहत पहली बार में तीन महीने से अधिक की सजा नहीं दी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश 20 सितंबर 2013 को जारी किया था। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में निर्देश दिया था कि अगर आरोपी के खिलाफ कोई और केस नहीं है तो उसे भी तीन महीने बाद रिहा किया जाए। इंदौर खंडपीठ के रजिस्ट्रार एजे खान ने भी गृह सचिव के माध्यम से सभी कलेक्टरों को हाईकोर्ट के इस फैसले से अवगत करा दिया है।

NOTE:- कुल मिलाकर NSA (रासुका) के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 3 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। इसके बाद जरूरत पड़ने पर इसे 3-3 महीने के लिए बढ़ाया भी जा सकता है, लेकिन किसी भी सूरत में 12 महीने से ज्यादा जेल में नहीं रखा जा सकता है।

NSA (रासुका) का इतिहास क्या है – NSA ka Itihas kya hain?

दोस्तों यह एक निवारक कानून है, जिसका अर्थ है कि किसी घटना के होने से पहले किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार किया जा सकता है। इस कानून का इतिहास ब्रिटिश शासन से जुड़ा है।

1881 में अंग्रेजों ने बंगाल रेगुलेशन थर्ड नाम का कानून बनाया। इसमें घटना होने से पहले ही गिरफ्तारी की व्यवस्था थी। फिर 1919 में रॉलेट एक्ट लाया गया। इसमें ट्रायल सिस्टम भी नहीं था। यानी जिसे हिरासत में लिया गया वह कोर्ट भी नहीं जा सका। जलियांवाला बाग की घटना इसी कानून के विरोध के कारण हुई थी।

जब भारत आजाद हुआ तो प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट 1950 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के तहत आया। इसका कार्यकाल 31 दिसंबर 1969 को खत्म हुआ। आंतरिक सुरक्षा कानून यानी मीसा 1971 में आया जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। 1975 में आपातकाल के दौरान राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया गया था।

1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो इस मीसा को समाप्त कर दिया गया। 1980 में इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री बनीं। फिर 23 सितंबर 1980 को उनकी सरकार में संसद द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम पारित किया गया। यह 27 दिसंबर 1980 को एक कानून बन गया।

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